Wednesday 6 July 2016

अथर्ववेद

अथर्ववेद

अथर्ववेद संहिता हिन्दू धर्म के पवित्रतम और सर्वोच्च धर्मग्रन्थ वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद कीसंहिता अर्थात मन्त्र भाग है। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ जादू, चमत्कार, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के रज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता है.

अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हैं और उनके इस वेद को प्रमाणिकता स्वंम महादेव शिव की है, ऋषि अथर्व पिछले जन्म मैं एक असुर हरिन्य थे और उन्होंने प्रलय काल मैं जब ब्रह्मा निद्रा मैं थे तो उनके मुख से वेद निकल रहे थे तो असुर हरिन्य ने ब्रम्ह लोक जाकर वेदपान कर लिया था, यह देखकर देवताओं ने हरिन्य की हत्या करने की सोची| हरिन्य ने डरकर भगवान् महादेव की शरण ली, भगवन महादेव ने उसे अगले अगले जन्म मैं ऋषि अथर्व बनकर एक नए वेद लिखने का वरदान दिया था इसी कारण अथर्ववेद के रचियता श्री ऋषि अथर्व हुए|


डाउनलोड करिये अथर्ववेद का हिंदी पीडीएफ वर्जन |
Free Download Atharvaved's
Hindi PDF Version

इसे डाउनलोड करणे के लिये नीचे दिये गये बटन पर क्लीक करे




Visit Us Daily! For Latest Hindi PDF Books.
Previous Post
First

54 comments :

  1. सच्चा धर्म वहीं हैं, जों बिकाऊ नहीं होता, पुस्तक फ्री डाउनलोड करनें की प्रक्रिया धर्मों में एक बडा धर्म हैं, यह ज्ञान बांटना हुआ, जों सबसें बडा पुण्य कार्य हैं

    ReplyDelete
    Replies
    1. Thank you sir
      Aapane sahi kaha

      Delete
    2. मुफ्त में कोई चीज प्राप्त करना भी धर्म नहीं मूल्य चुकाने का प्रयत्न हमेशा होनी चाहिए क्योंकि आप किसी की मेहनत का उपभोग कर रहे मूल्य किसी भी रूप में हो सकता है यदि देने वाला न माँगे

      Delete
  2. सच्चा धर्म वहीं हैं, जों बिकाऊ नहीं होता, पुस्तक फ्री डाउनलोड करनें की प्रक्रिया धर्मों में एक बडा धर्म हैं, यह ज्ञान बांटना हुआ, जों सबसें बडा पुण्य कार्य हैं

    ReplyDelete
    Replies
    1. धर्म अपनी करनी के निर्वहन का दूसरा नाम है, सच्चा केवल यथार्थ होता है, क्या बिकाऊ होना चाहिए क्या फ्री यह खरीदने वाले और बेचने वाले के मध्य का विषय है, धर्मों की संख्या नहीं होती, वह केवल करने या नहीं करने में ही निहित है, ज्ञान दर्शन है दृष्टिकोण्ड है उसे कदापि बांटा नहीं जा सकता है हाँ ग्रहण अवश्य किया जा सकता है, सबसे बड़ा क्या है यही प्रश्न है, कदाचित प्रश्न या कदाचित उसका उत्तर, पुण्य और पाप कार्य की परिभाषा समय अनुसार बदलती रहती है।
      इसलिए डॉ साहब शब्दों की मायानगरी में यूँही मत चले आया करें, हर शब्द अपनी जुबां है हर शब्द अपनी नज़र।

      Delete
    2. केवल एक ही धर्म है इस संसार में और वह है सनातन धर्म जिसे आजकल लोग हिन्दू धर्म के नाम से जानते हैं। जब इस संसार में कोई मजहब व कोई पैगम्बर नहीं था नहीं था तब भी यह अपने यह विद्यमान था ।इस धर्म को किसी पैगम्बर ने स्थापित नहीं किया है अपितु यह अनादि काल से व्याप्त है। इस संसार में केवल एक ही धर्म है बाकी सब मज़हब, सम्प्रदाय मत और पंथ हैं।

      Delete
  3. मैं तो आपके कार्य से अति प्रभावीत हुआ ! ज्ञान व्रद्धी के लिये अतिशय उपयुक्त काम आपने किया है ! और वो भी फ्री मे..

    ReplyDelete
  4. I heartily congratulate you sir from deep beneath of heart

    ReplyDelete
  5. what is the different b/w atharva veda and yjurva veda?

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत खूब मोहतरमा।।
      आपकी जय हो

      Delete
    2. Read both of them these are very common similarities in between concepts

      Delete
    3. खूप अति सुंदर

      Delete
  6. Duniya kitani bhi aage nikal jaye apna dharm apna hota hai

    ReplyDelete
  7. आपने अथर्ववेद का PDF उपलब्ध उपलब्ध कराया इसके लिये मैं आपका बहुत आभारी हूँ।

    ReplyDelete
  8. Aap ny vedo ka gyan free my bata mi aap ka dhanyawad karta hu Jay ambe maa

    ReplyDelete
  9. Thanks you sir respect from Aarif Abbas India 🙌

    ReplyDelete
  10. Thanks you sir respect from Aarif Abbas India 🙌

    ReplyDelete
  11. साधू , अतीव शोभनं कार्यम् ।

    ReplyDelete
  12. साधू , अतीव शोभनं कार्यम् ।

    ReplyDelete
  13. It's true love for God like humen.

    ReplyDelete
  14. sir very very thank u. aapna samaj me accha kam kiya hai.hum jaise logonko gyan leneka moka aap se mile.

    ReplyDelete
  15. बेहतर प्रयास, अनुकरणीय एवम स्वागत योग्य.

    ReplyDelete
  16. Dharma koi bhee ho uska gyn sab my baatna cahieye deel sy dhnyawd

    ReplyDelete
  17. Yah padh kar bahut hi acha laga ,yah bahut hi acha hai

    ReplyDelete
  18. बहुत अच्छा सराहनीय और प्रशंसनीय कार्य किया आपने.. बहुत बहुत धन्यवाद

    ReplyDelete
  19. ज्ञान बांटना पुण्य कार्य है।।

    ReplyDelete
  20. अच्छा नही,,





    ,बहुत अच्छा कार्य है sir

    ReplyDelete
  21. Thnx a lot to you. Stay blessed and be happiest always, God is always with us. Really so much thankful and grateful to God and u aswell.

    ReplyDelete
  22. बहुत अच्छा है

    ReplyDelete
  23. Ham apne vedon ko bhagvan ke nam se chalate hain isiliye kuchh log andhviswasi bante hain to kuchh log mante hain ki ye dhokha de rahe hain ya dhongi hai
    Agar yahi bat sab ye kah kar kare ki ye science hai to kya koi hamari bat nhi manega
    हम भारतीय दुनिया के सबसे पहले साइंटिस्ट थे
    जिन्हों ने टेक्नोलॉजी से पहले ही कई अविष्कार कर दिए थे

    ReplyDelete
  24. Ham apne vedon ko bhagvan ke nam se chalate hain isiliye kuchh log andhviswasi bante hain to kuchh log mante hain ki ye dhokha de rahe hain ya dhongi hai
    Agar yahi bat sab ye kah kar kare ki ye science hai to kya koi hamari bat nhi manega
    हम भारतीय दुनिया के सबसे पहले साइंटिस्ट थे
    जिन्हों ने टेक्नोलॉजी से पहले ही कई अविष्कार कर दिए थे

    ReplyDelete
  25. rishi muni k diye huye is gyan ka koi mol nahi char ved hi hamaare jiwan ka aadhar hai.thanks

    ReplyDelete
  26. हम सभी सनातनियों को अपने धर्म कर्म की पूर्ण जानकारी होनी चाहिए और अपनी आने वाली संतानों को भी जागरूक और ज्ञान देना चाहिए ताकि वो किसी और के बहकावे में आकर अपने धर्म से विमुख न हो। ॐ नमो नारायण(मुरली)

    ReplyDelete
  27. Pranaam.
    Kya is Ved Me Ashodhi ke baare Me Likha Hai Jis se Padha Kar Mai Khud Apna Ilaj Kar Saku

    ReplyDelete
  28. Karm karm karm karta ja karm

    ReplyDelete
  29. Bro, Why are you not going for AdSense

    ReplyDelete
  30. धन्य हैं आप aur आपके माता पिता जिन्होंने धर्म का ज्ञान बांटा है आपको और आपके माता पिता को शत शत नमन

    ReplyDelete